Thursday, December 28, 2023

आधुनिक अयोध्या आज की नजर में/Modern Ayodhya in today's eyes



आधुनिक अयोध्या आज की नजर में 

अयोध्या का इतिहास /History of Ayodhya


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प्राचीन नगरी अयोध्या हिंदुओं के सात पवित्र शहरों में से एक  है, जो भगवान राम के जन्म के साथ महान भारतीय महाकाव्य  रामायण से जुड़ाव के कारण पूजनीय है । रामायण स्रोत के अनुसार, ये शहर समृद्ध और अच्छी तरह से मजबूत था और इसमें एक बड़ी आबादी रहती थी।अयोध्या, जिसे अवध , दक्षिण-मध्य उत्तर प्रदेश राज्य या  उत्तरी भारत भी कहा जाता है।

ये फैजाबाद के ठीक पूर्व घाघरा नदी (सरयू नदी)के तट पर स्थित है। लखनऊ से करीब 135 किमी पूर्व में सरयू  नदी के तट पर स्थित अयोध्या को प्राचीन काल में साकेत कहा जाता था। अयोध्या महाकाव्य रामायण सहित कई किंवदंतियों और कहानियों  मे उल्लेखनीय है ।
 

अयोध्या और फ़ैज़ाबाद

फ़ैज़ाबाद   : PINCODE
 224001
अयोध्या    : PINCODE 224123





अयोध्या का अंग्रेजी में पुराना नाम "अवध" या "औड" था,  1856 तक अवध राज्य रियासत की राजधानी थी, इसे आज भी अवध राज्य  के रूप में जाना जाता है। रामायण में अयोध्या को प्राचीन कोसल साम्राज्य की बताया  गया है। इसलिए इसे "कोसल" भी कहा जाता था।

प्रायः लोग इन दोनों को एक ही शहर समझते हैं। अयोध्या भारत के प्राचीनतम शहरों में शुमार है और करोड़ों भारतीयों के आराध्य भगवान श्रीराम की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। फैजाबाद भी एक शहर है जो की अयोध्या से दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित  है। इस शहर को बहुत से साहित्यकारों, कवियों और स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि और कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है। रामायण का पहली दफ़े उर्द़ु में तर्ज़ुमा करने वाले महान उर्द़ु कवि और पेशे से वकील पंडित ब्रजनारायण चकबस्त का जन्मस्थल और कर्मस्थल भी फ़ैज़ाबाद ही था।  फैजाबाद को अवध के सुबेदार नियुक्त किए गए एक ईरानी सादात अली खान ने 1722 ईसवी में बसाकर अवध की पहली राजधानी बनाया था, जिसे बाद में नवाब आसफुद्दौला द्वारा 1775 ईसवी में लखनऊ ले जाया गया जिसके बाद फैजाबाद का पतन हो गया। इस पचास वर्षों में नवाबों ने उस राजधानी में बहुत सी खूबसरत इमारतें बनवाई । लखनऊ की ही तरह ये शहर भी हमें नवाबकालीन दौर की याद ताजा करवाता है। अवध के नवाबों के बारे में अगर हम इतिहास में झाकेँ तो पाते है कि उन्होंने अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर का जीर्णोद्धार और लखनऊ शहर के अलीगंज में स्थित एक हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था। फैजाबाद शहर के बसने के बाद भी अयोध्या अपने धार्मिक स्वरूप के कारण हिंदू जनमानस के बीच आस्था के केंद्र के रूप में विख्यात रहा। इसे हम इस नजरिए से भी देख सकते हैं कि सादात अली खान ने भगवान श्रीराम के बाद अयोध्या को ही अवध की राजधानी बनाई, पर वह एक ईरानी होने के कारण, वर्तमान अयोध्या नगर से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर जाकर अपनी फारसी की जुबान में उसे फैजाबाद के नाम से स्थापित किया ,जिसका अर्थ कुछ ऐसे निकलता हैं जहां पर सब बराबर हैं, कोई भेदभाव नहीं है। यह एक तरह से महाकवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस में वर्णित रामराज्य की अवधारणा से मेल खाता है। लेकिन जब ये अंग्रेजों के अधीन आया तब उन्होंने फैजाबाद को एक जिले का दर्जा दिया और रामनगरी अयोध्या को भी उस जिले के अंतर्गत कर दिया। वही व्यवस्था तब से लेकर नवंबर 2018 तक रही। योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार ने अयोध्या शहर को जिला घोषित कर दिया और फैजाबाद शहर को उसका प्रशासनिक मुख्यालय बना दिया। मई 2017 तक फैजाबाद शहर की अलग नगरपालिका थी और अयोध्या शहर की अलग नगरपालिका थी जिसका बाद में सूबे की भाजपा सरकार ने विलय कर अयोध्या नगर निगम नाम से एक नए नगर निकाय को गठन कर दिया।

अयोध्या में प्रमुख मंदिरऔर दर्शनीय स्थल

प्राचीन नगर अयोध्या के अवशेष खंडहर के रूप में बचे थे जिसमें कहीं कहीं कुछ अच्छे मंदिर भी थे। लेकिन 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट  के आदेश देने के पश्चात अब यहां एक नया भव्य राम मंदिर बनने जा रहा है,जिसका उद्घाटन आदरणीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ५/०८/२०२० को कर दिया है।यह नया मंदिर बनने तक रामलला मूर्ति को जन्मस्थान से स्थानांतरित कर एक अस्थाई मंदिर में प्रतिष्ठापित किया गया है।

१ ) हनुमान गढ़ी

हनुमान गढ़ी

ये मंदिर नगर के केंद्र में स्थित है है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी सदैव वास करते हैं। इसलिए लोग अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन से पहले भक्त हनुमान जी के दर्शन करते हैं। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की सुरक्षा करते थे। हनुमान जी को रहने के लिए ये जगह दी गयी थी ।

इस मन्दिर के निर्माणके बारे में एक कथा प्रसिद्ध  है कि सुल्तान मंसूर अली अवध के  नवाब थे । एक बार उनका इकलौता पुत्र गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। प्राण बचने के आसार नहीं रहे, तो सुल्तान ने संकटमोचक हनुमान जी के चरणों में माथा टेका । हनुमान जी की कृपा से सुल्तान के पुत्र की धड़कनें पुनः प्रारम्भ हो गई। अपने इकलौते पुत्र के बचने पर नवाब ने हनुमान गढ़ी मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया और ताम्रपत्र पर लिखकर ये घोषणा की कि कभी भी इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का कोई अधिकार नहीं रहेगा और न ही यहां के चढ़ावे से कोई कर वसूल किया जाएगा। उन्होंने 52 बीघा भूमि हनुमान गढ़ी व इमली वन को दान में दी ।लंका से विजय के उपरांत विजय के रूप में लाये गए निशान इस मंदिर में रखे गए हैं❗

२)राघवजी का मन्दिर

राघवजी का मन्दिर

ये अयोध्या नगर के केंद्र में स्थित बहुत ही प्राचीन मंदिर है इसे हम (राघवजी का मंदिर) के नाम से भी जानते हैlयहां भगवान राघव जी अकेले ही विराजमान है ये एक ऐसा मंदिर है जहाँ माता सीता के साथ राघव जी विराजवान नहीं हैं । सरयू जी में स्नान करने के बाद श्रद्धालु लोग राघव जी के दर्शन करते है।बैल पोला त्यौहार

३) नागेश्वर नाथ मंदिर

ये प्रचलित है कि नागेश्वर नाथ मंदिर को भगवान राम के पुत्र कुश ने बनवाया था।ये भी कहा जाता है की सरयू नदी में नहाते समय कुश का बाजूबंद खो गया था । बाजूबंद एक नाग कन्या को मिला जो की शिव भक्त थी वो कुश से प्रेम करने लगी । कुश ने उसके लिए यह मंदिर बनवाया था । ये भी प्रचलित है कि यही एकमात्र मंदिर है जो विक्रमादित्य के काल के पहले से है।

४) रामकोट

ये शहर के पश्चिम में स्थित पूजा का प्रमुख स्थान है । मार्च अप्रैल में मनाया जाने वाला त्यौहार यहां बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है

 ५) श्री लक्ष्मण किला

ये किला रीवां (मध्य प्रदेश ) के राजा द्वारा बनवाया गया है जिसकी बावन बीघा जमींन ब्रिटिश शासन ने दान में दी थी, यहां तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिए बहुत ही उत्तम ब्यवस्था है ये स्थान सरयू नदी से सटे होने के कारन सूर्यास्त दर्शन बहुत ही आकर्सण का केंद्र होता हैबैल पोला त्यौहार

 ६) कनक भवन


कनक भवन

हनुमान गढ़ी के नजदीक स्थित यह मंदिर टीकमगढ़ की रानी ने 1891 में बनवाया था। इस मंदिर को सोने का मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर भगवान राम और माता सीता के सोने के मुकुट पहने हुवे मूर्ति मौजूद है

 ७) जैन मंदिर

जैन मंदिर

अयोध्या जैन मंदिर के लिए भी लोकप्रिय है इन मंदिरों को फैजाबाद के नवाब के खजांची केसरी सिंह ने बनवाया था,जैन धर्म के अनुयाइयों का यहां आना जाना लगा रहता है

 अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन 

हिंदू धर्म का सबसे प्रतीक्षित मंदिर, राम जन्म भूमि पर निर्माणाधीन है और दुनिया भर के सभी हिंदू इसके उद्घाटन के लिए उत्साहित हैं। इसलिए हमने अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन तिथि 2024 और इससे संबंधित अन्य समान विवरणों से संबंधित पूरी जानकारी देने का निर्णय लिया।

 जानकारी के मुताबिक, अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन की तारीख 24 जनवरी 2024 है और प्रधानमंत्री मोदी भारत में इस अत्याधुनिक मंदिर का उद्घाटन करेंगे। आपको पता ही होगा कि अयोध्या श्रीराम का जन्मस्थान है और इसे भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है।

आपको जानकर खुशी होगी कि अयोध्या राम मंदिर समापन तिथि 2024 की उम्मीद है और इसका उद्घाटन 24 फरवरी 2024 को होने की कड़ी मेहनत के बाद होगा। एक बार उद्घाटन तिथि की घोषणा होने के बाद, अयोध्या राम मंदिर दर्शन बुकिंग 2024 शुरू हो जाएगी और फिर आप अपने टिकट प्राप्त करने के लिए पंजीकरण पूरा कर सकते हैं।

नए निर्मित राम मंदिर के दर्शन पाने के लिए आपको राम मंदिर अयोध्या पंजीकरण 2024 पूरा करना होगा। यह पूरा प्रक्रिया आपको धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ, इस महत्वपूर्ण स्थल की दैहिक और आधारिक महत्ता को समझने का अवसर प्रदान करेगा।

इस अद्वितीय घड़ी में, हम सभी को एक दैहिक और मानव स्पर्श के साथ भगवान श्रीराम के नए घर की ओर एक सामूहिक यात्रा का स्वागत करने का समय है। यह सुनिश्चित करेगा कि हम सभी इस शानदार दरबार में भागीदार बनकर अपने आत्मा को एक नए पर्याय में आत्मसात करें, जब हम भगवान के सानिध्य में ध्यान केंद्रित करें।

इस अद्भुत यात्रा के लिए तैयार रहें और अपने आत्मा के साथ एक नए संबंध का अनुभव करें, जब अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन के महौत्सव में हम सभी मिलकर एक नए युग की शुरुआत करेंगे।

 

 अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन तिथि 2024: एक ऐतिहासिक घटना

  अयोध्या राम मंदिर, भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने का एक प्रमाण, 24 जनवरी, 2024 को होने वाले उद्घाटन के साथ एक वास्तविकता बनने की ओर अग्रसर है। भगवान राम को समर्पित यह पवित्र संरचना, श्री राम जन्मभूमि द्वारा निर्माणाधीन है तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट 2019 में परियोजना की शुरुआत के बाद से हुवा ।

  वास्तुशिल्प चमत्कार और निर्माण विवरण: प्रसिद्ध सोमपुरा परिवार द्वारा डिज़ाइन किया गया, अयोध्या राम मंदिर 70 एकड़ के विशाल क्षेत्र में फैला है, जिसमें मंदिर स्वयं 2.7 एकड़ में फैला है। लार्सन एंड टुब्रो द्वारा शुरू की गई यह परियोजना 18,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाला एक विशाल उपक्रम है। यह महत्वपूर्ण निवेश अद्वितीय भव्यता के मंदिर के निर्माण के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

 धार्मिक महत्व और भक्ति: अयोध्या राम मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है क्योंकि इसका निर्माण श्रद्धेय श्री राम जन्मभूमि तीर्थ पर किया जा रहा है। दुनिया भर के श्रद्धालु इस विशाल संरचना के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बनने के लिए तैयार है।

 प्रगति एवं वर्तमान स्थिति: 2024 तक, निर्माण का चरण 1 सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, और चरण 2 चल रहा है। परियोजना की सावधानीपूर्वक योजना और कार्यान्वयन यह सुनिश्चित करता है कि अयोध्या राम मंदिर वास्तुशिल्प प्रतिभा और धार्मिक भक्ति के प्रतीक के रूप में खड़ा हो।

 उद्घाटन विवरण: उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन समारोह का संचालन करेंगे, जो देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा। यह आयोजन न केवल देश भर से बल्कि विश्व स्तर पर ध्यान आकर्षित करेगा, क्योंकि अयोध्या राम मंदिर आस्था और एकता का प्रतीक बन गया है।

 अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, जिसे निर्माण की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया है, इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए लगन से काम कर रहा है। अयोध्या राम मंदिर से संबंधित आधिकारिक अपडेट और जानकारी के लिए ट्रस्ट की वेबसाइट srjbtkshetra.org एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में कार्य करती है।

 सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव: इसके धार्मिक महत्व के अलावा, अयोध्या राम मंदिर के उद्घाटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान है। पर्यटन और तीर्थयात्रा में वृद्धि से अयोध्या और इसके आसपास के क्षेत्रों की वृद्धि और विकास में योगदान मिलने की उम्मीद है।

  आशा करना: जैसे-जैसे उद्घाटन की तारीख नजदीक आ रही है, दुनिया भर के हिंदुओं के बीच प्रत्याशा और उत्साह बढ़ता जा रहा है। अयोध्या राम मंदिर केवल एक भौतिक संरचना नहीं है, बल्कि आस्था, एकता और अपनी परंपराओं में गहराई से निहित संस्कृति की स्थायी भावना का प्रतीक है।

 अयोध्या के बारे में कुछ पूछे जाने वाले प्रश्न 

 💥अयोध्या में राम मंदिर किसने तोड़ा?

 1528 ई. में बाबर अयोध्या एक हपते के लिए आया । उसने प्राचीन मंदिर को नष्ट करके  उसके स्थान पर एक मस्जिद का निर्माण किया, जिसे आज भी बाबरी  मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

 💥क्या बाबरी मस्जिद अभी भी है?

 इसे 1992 में मुसलमानों और हिंदुओं के बीच दशकों से  तनाव के बीच नष्ट कर दिया गया था।

 💥क्या राम का जन्म अयोध्या में हुवा था ?
हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ रामायण में कहा गया है कि राम की जन्मभूमि उत्तर प्रदेश में स्थित  अयोध्या शहर में सरयू नदी के तट पर है।

 💥भगवान राम कितने समय तक जीवित रहे?
 भगवान राम ने 11,000 वर्षों तक शासन किया, उनके पिता दशरथ भी 60,000 वर्षों तक जीवित रहे थे।

 💥क्या रामायण सच्ची कहानी है?

इस तरह के प्रश्न उठने के साथ साथ शोधों में भी वृद्धि हुवी है , और जिस तरह रामायण के प्रमाण भारत में (उनमें से एक रामसेतु) से लेकर श्री लंका तक भरे पड़े हुवे हैं ,उससे ये सिद्ध होता है की रामायण एक सत्य घटना है।  वडलामुडी राघवेंद्र राव, मानव विज्ञान के प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय, और अध्ययन के लेखकों में से एक व्यक्ति ने कहा, 'निश्चित रूप से, रामायण में वर्णित घटनाएं वास्तविक रूप से हुई हैं।

💥 क्या राम हिन्दुओं के देवता हैं?
राम रक्षा भगवान  विष्णु के अवतार हैं। विष्णु हिंदू देवताओं की त्रिमूर्ति में से एक हैं - ब्रह्मा निर्माता, विष्णु रक्षक, और शिव संहारक। विष्णु के विभिन्न  रूप में पृथ्वी पर नौ अवतार हुए हैं। इन्हीं में से एक है राम।

💥राम की त्वचा नीली क्यों थी ?
नीली-रंग वाली त्वचा मेथेमोग्लोबिनेमिया से होती  है -  जिसमें हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में अणु जो शरीर को ऑक्सीजन वितरित करता है और  शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन को प्रभावी ढंग से छोड़ने में असमर्थ होता है अब क्यों की  रक्त ऑक्सीजन युक्त नहीं होता है,इसलिए  यह त्वचा को नीला, होंठ बैंगनी, और रक्त चॉकलेट-c . बनाता है.

💥रावण कौन सी भाषा बोलता था?
श्रीलंका पर शासन करने वाले राजा रावण  तमिल भाषा बोलते था और उसे  उन्हें वैदिक संस्कृत का अच्छा ज्ञान था। उन्होंने कई संस्कृत भजन लिखे उनमे  से एक  तांडव स्तोत्र सबसे प्रसिद्ध है।

💥राम सच में कहाँ पैदा हुए थे?

 राम अयोध्या, कोसल (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)में पैदा हुए थे

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