💃रस्में होली की💢
होलिका दहन समारोह
होली एक बहुत ही प्राचीन त्यौहार है जो की खास तौर से भारत ( इंडिया ) में बहुत धार्मिक रूप से रस्मों और उत्साह के साथ मनाया जाता है त्यौहार के कुछ हप्तों पहले से लोग होलिका के लिए लकडिया इकट्ठा करना शुरू करते हैं।इस समय तो बच्चों में एक खास तरह का उत्साह देखने को मिलता है एक मोहल्ले के लोगो का दुसरे मोहल्ले के लोगो के साथ उत्साह वाली प्रतिद्व्न्दिता यानि की ज्यादा लकड़ी उतनी बड़ी होली का अलाव यह सुनिश्चित करता है किकिसका उत्साह ज्यादा बड़ा है वास्तविक उत्सव के समय लकड़ी का एक बड़ा ढेर एकत्र किया जाता है होली की पूर्व संध्या पर, होलिका दहन होता है। होलिका जो की, शैतान राजा हिरण्यकश्यप की शैतान दिमाग की बहन थी के पुतले को लकड़ी में रख कर जलाया जाता है । उस होलिका को जिसने हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद को मारने की कोशिश की, जो भगवान नारायण का एक भक्त था। ये समारोह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और सच्चे भक्त के विजय की भी। होलिका दहन के समय बच्चे तरह तरह की शरारत करते है गालियां देते है मानो की जैसे वे उस ढूंढी का पीछा करने की कोशिस कर रहे हैं जी हाँ वही धुंडी जिसकी किवदतियाँ प्रचिलित है की वो कभी पृथ्वी पर छोटे लोगों को परेशान किया करता था .लोग होलिका माता की पूजा करते है तथा उस होलिका दहन से अंगार लेकर अपने घर के जो चूल्हे की आग है उसमे डालते है ये एक शुभ प्रक्रिया समझा जाता है ।
रंगों के खेलकी रस्मे
होलिका दहन के अगले दिन होली समारोह का मुख्य आयोजन होता है इस दिन को धुलेटी कहा जाता है इस दिन लोगों में एक अलग ही तरह तरह के रंगो के के साथ खेलने का उत्साह देखने को मिलता हैरंग खेलने की परंपरा विशेष रूप से उत्तर भारत में काफी ब्यापक स्तर पर मनाया जाता है कोई भी किसी को भी रंग डाल सकता है लोग पिचकारियों के साथ एक दूसरे पर रंग का पानी छिड़कते हैं और लोगों के बीच आपस में एक अलग ही तरह की सद भावना देखने को मिलती है ,उत्तर भारत में इस्थित मथुरा वृंदावन की रंग खेलने की परम्परा विश्व प्रसिद्ध है । महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश, गुजरात में भी होली बहुत उत्साह और मस्ती के साथ मनाई जाती है। बॉलीवुड भी इस होली के रंग में अपने तरह तरह के गाने को पेश करके लोगो के उत्साह में चार चाँद लगा देता है खास तरह से एक बहुत ही प्रचलित गानाजो की महानायक श्री अमिताभ बच्चन के द्वारा गाया गया और सुध उत्तर भारतीय उनके पिता जी श्री हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखा गया "रंग बरसे भीजे चुनर वाली रंग बरसे" काफी प्रसिद्ध है , लोग गाना गाते है ढोल बजा कर नाचते है.इस सारी गतिविधियों के बीच लोग गुझिया, मठरी, मालपुए और अन्य पारंपरिक होली व्यंजनों को बड़े आनंद के साथ खाते है । पेय, विशेष रूप से भांग के साथ ठंडाई होली उत्सव का एक उत्साह भरा हिस्सा है।
ठंडाई तो ठीक है लेकिन अगर भांग को ज्यादा मात्रा में लिया जाए तो य नुकसान पंहुचा सकता है इसको लेने में लोग काफी सावधानी बरतते है लेकिन लोग करे भी क्या क्योकि" बुरा न मानो होली है
दक्षिण भारत में होली समारोह हालांकि, दक्षिण भारत में, लोग भारतीय पौराणिक कथाओं के प्रणेता कामाडेवा की पूजा करने की परंपरा का पालन करते हैं। लोगों को उस कथा पर विश्वास है, जो कामदेव के महान बलिदान के बारे में बोलती है जब उन्होंने अपने ध्यान को तोड़ने और सांसारिक मामलों में अपनी रुचि जगाने के लिए भगवान शिव पर अपना प्रेम बाण चलाया था। होली के कई रंग
बाद में, इस घटनापूर्ण और मजेदार दिन लोग शाम को थोड़ा शांत हो जाते हैं, इस मजेदार दिन जिस तरह से दोपहर के पहले लोग उत्तेजित रहते है " शाम के समय उतना ही शांत हो जाते है और लोग दोस्तों रिश्तेदारों को उनके घर जाकर बधाई देते हैं,मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। समाज में सौहार्द और भाईचारा पैदा करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों द्वारा होली मिलन विशेष का आयोजन किया जाता है।बैल पोला त्यौहार
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