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होली के💃 कई रंग
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💥 रंगपंचमी
महाराष्ट्र में लोग इस त्योहार को रंगपंचमी ,स्थानीय लोग शिमगा या शिमगो के नाम से जानते है,रंगो का ये उत्सव यहाँ पांच दिनों तक मनाया जाता है ये त्योहार विशेष रूप से मछुआरों के बीच काफी लोकप्रिय है लोग नाचते है गाते है अजीबोगरीब अंदाज में मुंह से आवाज निकालते हैं और अपने हाथों से पीठ के बल मुंह मारते हैं।
💥 दुलंडी होली
होली को स्थानीय लोग दुलैण्डी होली के नाम से मनाते है इस दिन भाई अपने भाइयों की पत्नी (भाभी ) के साथ विषेस तरह का मजाकिया अंदाज में रंगो की बरसात करते है ,लगाते है मजाक करते है ,इस दिन भाभियों को भी अपने देवरों को पीटने की सामाजिक स्वीकृत मिल जाती है भाभियों के द्वारा अपने साड़ियों का रोल बनाके देवरों को पीटने की परम्परा है शाम को भाई अपने भाभियों के लिए मिठाइयों का डिब्बा लेकर जाते हैं उन्हें भेट करते है , इस दिन एक मानव पिरामिड बनाकर छाछ के घड़े को तोड़ने की भी परम्परा को भी लोग बड़े शौक से मनाते है ।
💥 बसंत उत्सव
पश्चिम बंगाल राज्य में होली का उत्सव बसंत उत्सव के नाम से बड़े धूम धाम से मनाते है ये महोत्सव महोत्सव कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शांति निकेतन में शुरू किया गया था,लड़के और लड़कियां हर्षोउल्लास के साथ बसत का स्वागत रंगों और गीतों के साथ करते है
Source :pexels
💥डोल पूर्णिमा
पश्चिम बंगाल में होली को डोल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। सुबह-सुबह डोल पूर्णिमा के दिन छात्र भगवा रंग के कपड़े पहनते हैंऔर सुगंधित फूलों की माला पहनते हैं,वे विभिन्न तरह के वाद्य यंत्रो का इस्तेमाल करते हुवे नाचते है गाते है और इस उत्सव को साल भर के लिए याद गार बना देते है इस त्योहार को 'डोल जात्रा', 'डोल पूर्णिमा' या 'स्विंग फेस्टिवल' के रूप में भी जाना जाता है।इस दिन भगवान् राधा कृष्ण की मूर्तियों को पालकी में रख कर पूरे शहर के सड़कों पर जुलूस के रूप में घुमाया जाता है लोग जुलूस में नाचते है गाते है अबीर गुलाल के रंगों का छिड़काव करते है
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💥लठमार होली
बरसाना जी हाँ ये उत्तरप्रदेश(इंडिया) में स्थित एक छोटा सा क़स्बा है जिसे होली के त्यौहार के केंद्र कहा जाता है , यहाँ की लठमार होली विस्व प्रसिद्ध है इसमें महिलाएं पुरुष के सर पर छड़ी से वार करती है और पुरुष अपने आप को बचाने की कोसिस करते है । भगवान कृष्ण की प्रिय राधा का जनम बरसाना में ही हुवा था कृष्णा राधा और उनकी सहेलियों के साथ रास करने के लिए प्रसिद्ध थे भगवान कृष्ण ने ही राधा के चेहरे पर रंग लगा कर रंग खेलने की परम्परा की शुरुवात की । सदियों से ये परम्परा चली आ रही है जो की अभी तो लगभग पूरे भारत में ये फ़ैल चुकी है परंपरा के अनुसार, कृष्ण की जन्मभूमि नंदगाँव के पुरुष बरसाना की लड़कियों के साथ होली खेलने आते हैं, लेकिन रंगों के बजाय उन्हें लाठी से अभिवादन किया जाता है । ये एक बहुत ही आनंद दायक उत्साहों से भरी हुवी परम्परा है पहले दिन बरसाना की महिलाये नन्द गांव पर आक्रमण करती है तो दूसरे दिन नंदगाव के पुरुष बरसाना पर चढ़ाई करते है सब के सब पूरी तरह से होली के रंग में डूबे हुवे ,इस परम्परा को देखने के लिए दुनिया भर से पर्यर्टक आते है
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💥 होला मोहल्ला
होली को
ये नाम पंजाब में हर्सोल्लास नाम से मिला है ,ये त्यौहार इस राज्य में एक अलग ही तरह
से मनाया जाता है होला मोहल्ला वास्तव में एक मेला है जो की साल में एक बार होली के
त्योहार के बाद से पंजाब के आनंदपुर साहिब में बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाता है।
दसवें सिख गुरु, गुरु गोविंद सिंह द्वारा इस तरह का मेला लगाने की प्रथा शुरू की गई
थी। मेले का उद्देश्य सैन्य अभ्यास और मॉक लड़ाई आयोजित करके सिख समुदाय को शारीरिक
रूप से मजबूत करना था यह त्यौहार लगातार तीन दिनों तक मनाया जाता है बैल पोला त्यौहार
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