कोवैक्सिन बनाम कोविशील्ड – एक तुलनात्मक 💢अधययन💢
भारत में COVID-19 टीकाकरण अभियान का दूसरा चरण शुरू हो चुका है, बहुत से लोग अभी भी इस बात से अनजान हैं कि दो टीके - कोवैक्सिन और कोविशील्ड - एक दूसरे से कैसे अलग हैं। दूसरा अभियान जो की 1 मार्च को शुरू हुआ, जिसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग और 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोग जो संबंधित सहवर्ती रोगों से पीड़ित हैं, वे पहला शॉट ले सकते हैं। वर्तमान में, सरकार ने लोगों को यह अनुमति नहीं दी है कि वे तय करें की कौन सा टीका लेना चाहते हैं, लेकिन पहले चरण का परिणाम स्पष्ट रूप से बताता है कि भारत में लगाए जा रहे दोनों टीके सुरक्षित के साथ प्रभावी भी हैं।
वैक्सीन का प्रकार 🌹:
कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के द्वारा विकसित किया गया है लेकिन इसका निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा किया जा रहा है।
Covaxin एक निष्क्रिय टीका है, जिसे मृत वायरस के परीक्षण से तैयार किया गया है। - Covaxin को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है जो की होल-विरियन इनएक्टिवेटेड वेरो सेल-से उतपन्न तकनीक से विकसित किया गया है। इसमें वे निष्क्रिय वायरस होते हैं, जो किसी व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकते हैं लेकिन फिर भी प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय वायरस के खिलाफ रक्षा तंत्र तैयार करना सिखा सकते हैं।
पारम्परिक दवा 🌹:
ये पारंपरिक टीके जो की दशकों से उपयोग में हैं। कुछ अन्य बीमारियों के लिए भी टीके हैं जो उसी तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। ये रोग हैं- • मौसमी इन्फ्लूएंजा • रेबीज • पोलियो • पर्टुसिस, और • जापानी मस्तिष्ककोप। कोविशील्ड को वायरल वेक्टर प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है जो पूरी तरह से अलग तकनीक है। एक चिंपैंजी एडेनोवायरस - ChAdOx1 - को मानव कोशिकाओं में COVID-19 स्पाइक प्रोटीन ले जाने में सक्षम बनाने के लिए संशोधित किया गया है। खैर, यह ठंडा वायरस मूल रूप से रिसीवर को संक्रमित करने में असमर्थ है, लेकिन ऐसे वायरस के खिलाफ एक तंत्र तैयार करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बहुत अच्छी तरह से मजबूत कर सकता है। इबोला जैसे वायरस के टीके तैयार करने के लिए सटीक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। खुराक के मामले में दोनों टीकों में कोई अंतर नहीं है। ये दोनों दो-खुराक वाले आहार का पालन करते हैं, जिसे 28 दिनों के अंतराल पर संचालित किया जाता है।चलने के फायदे
भंडारण दिशानिर्देश🌹:
कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों को 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड पर जो कि घरेलू रेफ्रिजरेटर का तापमान है पर संग्रहित किया जा सकता है। क्योंकि यहां अधिकांश टीकों को एक ही तापमान सीमा पर रखा जाता है। इससे दोनों टीकों का परिवहन और भंडारण भी आसान हो जाता है और भारतीय परिस्थितियों के लिये अनुकूल भी है।
साइड इफ़ेक्ट 🌹:
टीका लगाने के बाद, आपको इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द का अनुभव हो सकता है। कुछ लोगों को सिरदर्द, जोड़ों में दर्द जैसे साइड इफेक्ट भी होते हैं, बुखार जैसा महसूस हो सकता है।लेकिन ये दुष्प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहते हैं और आम तौर पर एक या दो दिनों के भीतर चले जाते हैं।
स्वीकृति🌹:
Covaxin को क्लिनिकल ट्रायल मोड में प्रतिबंधित-उपयोग का प्राधिकरण दिया गया है, जबकि Covishield को आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग की अनुमति दी गई है जो संभावित रूप से 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में कोरोनावायरस संक्रमण को रोक सकते हैं।
हालांकि,
भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) ने अब तक किसी भी टीके को कामर्सिअल उपयोग की
मंजूरी नहीं दी है। टीकों की कीमत दोनों टीकों को सरकारी स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों
में नि:शुल्क लगाया जा रहा है। सरकार ने निजी अस्पतालों और क्लीनिकों के लिए प्रति
खुराक 250 रुपये की कीमत तय की है। कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों
इंट्रामस्क्युलर टीके हैं। लाभार्थियों की आयु कोविशील्ड को 18 वर्ष या उससे
अधिक आयु के लोगों के लिए मंज़ूर किया गया है, जबकि कोवैक्सिन 12 वर्ष और
उससे अधिक आयु के लोगों को दिया जा सकता है। अभी ये तय नहीं हुवा है कि यह
टीका बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिया जा सकता है या नहीं।!
भारत में COVID वैक्सीन की 179 मिलियन(लगभग अठारह करोड़ ) खुराकें दी जा चुकी हैं। 39 मिलियन(लगभग चार करोड़) से अधिक लोगों ने टीके की 2 खुराक प्राप्त की हैं और उन्हें पूरी तरह से टीका लगाया गया माना जाता है। • भारत में शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि कोवैक्सिन और कोविशील्ड दोनों ही , यूके/दक्षिण अफ्रीका/ब्राजील से हुवे वायरस के खिलाफ प्रभावी हैं • Covaxin या Covishiled की 2 खुराक के बाद COVID होने का जोखिम बहुत कम होता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 0.03% लोगों ने कोविशील्ड की दूसरी खुराक के बाद और कोवाक्सिन की दूसरी खुराक के बाद 0.04% ही पॉसिटिव हुवे है ।
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