अफगानी पॉप स्टार अर्याना सईद ने छोड़ा देश
अफगानिस्तान पर हुए तालिबान के कब्जे के बाद से वहां के हालात दिन पर दिन ख़राब होते जा रहे हैं । अफगानिस्तान में जहां एक तरफ लोग तालिबान का विरोध कर रहे हैं तो वहीं लोग देश छोड़ कर दूसरे देशों में जा रहे हैं। इस लिस्ट में अफगानिस्तान की पॉप स्टार अर्याना सईद का नाम भी शामिल है जो काबुल छोड़ कर अमेरिका जा पहुंची हैं। Donald Trump
अफगान द वॉयस की जज और गायिका अर्याना यूएस कार्गो जेट में बैठकर अपने देश को अलविदा कह दिया। इसकी तस्वीर अपने फैंस के साथ साझा करते हुए उन्होंने कहा कि, 'कभी ना भूला देने वाली उन रातों के बाद मैं ठीक हूं, जिंदा हूं। मैं दोहा, कातर पहुंच चुकी हूं और मुझे इंतजार है कि जल्द ही मैं इंस्ताबुल लौटूंगी। इस तस्वीर में अर्याना मुंह पर मास्क लगाए फ्लाइट में बैठी नजर आ रही हैं'।
अर्याना ने कहा कि अफगानिस्तान में शरिया कानून से डर लगता है। काबुल
पर कब्जा जमाते ही खूंखार तालिबान ने शरिया को लागू कर दिया है। अफगानिस्तान में महिलाओं
की जिंदगी नर्क के समान है और वहां महिला अधिकारों का अब कोई मतलब नहीं है। आने वाले
दिनों में महिलाएं काम करेंगी या नहीं, यह बड़ा सवाल है।अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन
गायिका ने कहा कि, 'जब मैं घर पहुंच जाऊंगी जहां मेरा दिमाग शांत होगा तो बहुत सी ऐसी कहानियां हैं जो मैं आपसे बताना चाहूंगी'। अर्याना हमेशा से अफगान आर्मी की समर्थक रही हैं और तालिबान के कब्जे से पहले उन्होंने अफगान की फौज को अपना समर्थन दिखाया है।उन्होंने फिल्म निर्माता हासिब सईद से शादी की है ।वहीं फिल्म निर्देशक हसन फाजिली का कहते है कि उन्हें मुल्क के लोगों के साथ साथ इसकी संस्कृति और आंदोलनों की भी चिंता है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि, 'हम प्रार्थना करें कि देश के लोगों को कुछ नहीं होगा लेकिन ये तो तय है कि देश में फिल्म मेकिंग और आर्ट परफॉरमेंस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा'।
तालिबान के कब्जे के बाद से राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया था। वहीं उनके जाने के बाद से ही बहुत से लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं और दूसरे देशों में पनाह मांग रहे हैं। अफनागी महिलाएं तालिबानियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी कर रही हैं। और खौफ में जी रहीं हैं ,एक अफगानी महिला पुलिस की वीडियो भी खूब वायरल हो रही है जिसकी आँखे तालिबान ने निकाल लिए हैं
दूसरी तरफ तालिबान का कहना है कि किसी को भी डरने की जरूरत नहीं हैं। हम सबकी सुरक्षा चाहते हैं और साथ ही हम हर राष्ट्र से दोस्ती करना चाहते हैं। महिलाओं को भी इस्लामिक कानून के तहत उनके अधिकार दिए जाएंगे जो भी सही होगा। वही अफगानिस्तान छोड़ कर आये लोगों का कहना है की तालिबान पर भरोशा नहीं किया जा सकता क्योंकि उनमे भी बहुत सारे गुट हैं जिनके आपस में ही मतभेद हैं तालिबान के कब्जे के बाद से हर पूरी दुनिया में वहां के लोगों की सुरक्षा की प्रार्थना की जा रही है।
अफगानिस्तान में कई सालों से राजनीतिक परिवर्तनों के कारण सिनेमा जगत के विकास में काफी कमी आई है। एक लंबे ब्रेक के बाद अफगान सिनेमा ने 2001 में फिल्म जगत में कदम रखा था। इन सालों में फिल्म जगत में महिलायें खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहीं थीं ।अफगानिस्तान में इन सालों में कई ऐसी मूवी बनाई गई, जिन्होंने लोगों की खूब वाह-वाही लूटी। 2003 में बनी अफगान मूवी 'ओसामा' ने गोल्डन ग्लोब अवार्ड जीता। वहीं 2012 में बनी 'बुजकाशी बॉयज' को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया था। ये एक बहुत बड़ा प्रश्न है की अफगानिस्तान में सिनेमा जगत का क्या होगा?
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