धरती पर भगवान
2🌱माँ ज्वाला मुखी में हमेशा ज्वाला निकलती है
उत्तर भारत के सबसे पुराने ज्ञात तीर्थ स्थलों में से एक, ज्वाला जी मंदिर कांगड़ा से लगभग 32 किमी दक्षिण-पश्चिम में है।
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3🌱मैहर माता मंदिर में आल्हा आज भी आते हैं मध्य प्रदेश के जिला सतना के मैहर तहसील के पास में त्रिकूट पर्वत पर ये मंदिर स्थित है ,इस मंदिर तक जाने केलिए 1063 सीढ़ियों की चढ़ाई करनी पड़ती है ,आल्हा और उदल नामके दो योद्धा जिन्होंने इस मंदिर की खोज की थीं इसके बाद १२ साल तक तपस्या करके आल्हा ने माता को प्रसन्न किया और अमरत्व का वरदान प्राप्त किया ,तब से रात को २ से ५ के बीच मंदिर बंद किया जाता है और सुबह माता का श्रृंगार किया हुवा मिलता है कहते है की यदि कोई व्यक्ति रात में रुकने की कोशिस करता है तो उसकी मौत हो जाती है ,सुबह की पहली पहली पूजा आल्हा करते हैं।
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4🌱भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित तनोट माता मंदिर में ३००० बम में से एक का भी नहीं फूटना भारत पकिस्तान सीमा पर जैसलमेर(राजस्थान-इंडिया ) से १२० किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर की ख्याति भारत पाक के 1965 के युद्ध के बाद से काफी बढ़ी है क्योंकि उस युद्ध में पकिस्तान ने यहां सैकड़ों बम गिराए थे लेकिन उनमे से एक भी नहीं फटा ,इस मंदिर की पूजा अर्चना और देख भाल सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।
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5🌱इतने बड़े हादसे के बावजूद केदार नाथ मंदिर का बाल बांका भी नहीं हुवा उत्तराखंड में केदारनाथ मंदिर में हुई २०१३ के त्रासदी में केदारनाथ में बारिश और बाढ़ के कहर से पूरा इलाका श्मशान में बदल गया था। भारी प्राकृतिक आपदा के बावजूद केदारनाथ मंदिर का बाल भी बांका नहीं हुवा इसे भगवान शिव की उपस्थिति का कारन माना जाता है।
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6🌱पूरे दुनियां में आज भी राम सेतु के पत्थर तैरते हैं महान ग्रंथ रामायण में जिस तैरते हुए पत्थरों राम सेतु ब्रिज बनाने का जिक्र है वो पत्थर आज भी राम सेतु में मौजूद हैं।
7🌱रामेश्वरम धाम में सागर का पानी कभी भी उफान नहीं मारता है
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8🌱पूरी मंदिर के ऊपर से किसी पक्षी या विमान का न निकलना
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9🌱जगन्नाथ पुरी मंदिर की पताका हमेशा हवा के विपरीत दिशा में उड़ती है
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10🌱गंगा और नर्मदा नदी का पानी कभी भी ख़राब नहीं होता है
11🌱उज्जैन में भैरोनाथ का मदिरा पीना उज्जैन स्थित काल भैरव के इसलगभग ६००० साल पुराने मंदिर में भगवान् भैरवनाथ को भक्त मदिरा चढ़ाते हैं मूर्ति के मुँह पर मदिरा की कटोरी लगाते ही सारी मदिरा गायब हो जाती है ,अंग्रेजों के शासनकाल में एक अग्रेज अधिकारी ने काफी खोज बीन की मंदिर के आसपास खुदाई आदि भी किया लेकिन उसे इस रहस्य का पता नहीं चला आखिर में वो भगवान् काल भैरव का भक्त हो गया।बैल पोला त्यौहार
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13🌱चित्तोरगढ में बाण माता मंदिर में आरती के
समय त्रिशूल का हिलना ईश्वरीय ऊर्जा समय समय
पर अपने मौजूद होने का एहसास कराती है इसी में से एक है बाणमाता का मन्दिर जो अजमेर
से खण्डवा जाने वाली ट्रैन के रास्ते में िस्थित है चित्तोरगढ जँक्शन से लगभग २ किलोमीटर
दूर उत्तर पूर्व की ओर सुप्रसिद्ध चित्तौरगढ़ किले में बना है आधुनिक अयोध्या
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