Sunday, June 16, 2024

जगन्नाथ रथ यात्रा 2024/जगन्नाथ मंदिर/Jagannath Rath Yatra 2024 / Jagannath Temple



Jagannath puri temple facts

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जगन्नाथ रथ यात्रा 2024

जगन्नाथ मंदिर में हर साल  निकाली जाती है रथयात्रा जानिए क्यों ?

जानें 2024 का शेड्यूल

 

जगन्नाथपुरी में जगन्नाथ मंदिर के बारे में  अविश्वसनीय बातें

इतिहास (History)

जगन्नाथपुरी में जगन्नाथ मंदिर के बारे में  अविश्वसनीय बातें ओडिशा में स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथपुरी के जगन्नाथ मंदिर की विशाल दीवारों को बनाने  में तीन पीढ़ियों का समय  लगा। यह मंदिर हिन्दुओं  के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है होने के साथ साथ  चार-धाम तीर्थयात्राओं में से एक है। यह लगभग सहस्राब्दी पहले, वर्ष 1078 में निर्मित एक शक्तिशाली ऐतिहासिक संरचना के रूप में भी कार्य करता है। भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने  के लिए लाखों लोग हर साल ओडिशा(भारत ) आते हैं।

 

 जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा  2024

इस साल पुरी रथ यात्रा का आरंभ 7 जुलाई से और समापन 19 जुलाई   को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। ओडिशा के जगन्नाथ पुरी शहर में स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर साल धूमधाम के साथ रथयात्रा निकाली जाती है। जगन्नाथ मंदिर से तीन रथ सजधज कर रवाना होते हैं। इनमें सबसे आगे बलराज जी का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे जगन्नाथ प्रभु का रथ होता है।

 रथयात्रा निकाले जाने का कारण

रथ यात्रा भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है,दरअसल पुरी की रथ यात्रा के पीछे बहुत साी कहानियां प्रचलित हैं। जिनमें से एक है कि एक बार श्रीकृष्ण, जो कि जगन्नाथ के रूप में पुरी मंदिर में विराजते हैं, उनसे उनकी छोटी बहन सुभद्रा कहती हैं कि वो द्वारिका दर्शन के लिए इच्छुक  हैं लेकिन सड़क मार्ग से। भगवान श्रीकृष्ण अपनी छोटी बहन की इच्छा का सम्मान करते हुवे  अपने बड़े भाई दाऊ से कहते हैं कि दाऊ  हम आपके बिना कैसे जा सकते हैंआप ही तो हमारे मार्गदर्शक हो।' इसके बाद बलराम, सुभद्रा और श्रीकृष्ण तीनों ने रथ के जरिए ये यात्रा पूरी की थी,इस यात्रा के दौरान वे मौसी के घर गुंडिचा भी गए और वहां  सात दिन ठहरे।तब से ही रथ यात्रा प्रारंभ हो गई।

 अब चूंकि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने बड़े भाई को अपना मार्गदर्शक कहा था इसलिए रथ यात्रा में सबसे आगे प्रभु बलराम का रथ चलता है, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और उसके  पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है।

जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा 2024 का  शेड्यूल

07 जुलाई  2024 (रविवार)- रथ यात्रा प्रारंभ.

 11 जुलाई (गुरूवार )- हेरा पंचमी (पहले पांच दिन गुंडिचा मंदिर में वास करते हैं).

 14 जुलाई (रविवार )- संध्या दर्शन (माना  जाता  है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से 10 साल श्रीहरि की पूजा के बराबर  पुण्य मिलता है).

 15 जुलाई(सोमवार )- बहुदा यात्रा (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व बहन सुभद्रा की घर वापसी होती है ).

  16जुलाई(मंगलवार  )- सुनाबेसा (जगन्नाथ मंदिर लौटने के बाद भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ शाही रूप में आते  हैं).

 18 जुलाई (गुरुवार )- आधर पना (आषाढ़ शुक्ल द्वादशी पर दिव्य रथों पर एक विशेष पेय (पना) अर्पित किया जाता है।

 19 जुलाई (शुक्रवार )- नीलाद्री बीजे ( नीलाद्री बीजे जगन्नाथ यात्रा का सबसे दिलचस्प और जरूरी  अनुष्ठान है।

यह मंदिर अपनी हर साल होने वाले  वार्षिक रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है जिसे करोड़ो लोग प्रत्यछ या अप्रत्यछ रूप से  देखते हैं क्योंकि तीन विशाल रथ देवताओं को ले जाते हैं। अंग्रेजी शब्द जुगर्नॉट की उत्पत्ति इस वार्षिक परेड से हुई है।  बिना किसी वैज्ञानिक स्पष्टीकरण के कुछ विषेस  गतिविधियों ने दुनिया भर में यात्रियों की निगाहें खींची हैं.

पुरी और  रथ यात्रा के बारे में कुछ आश्चर्य जनक तथ्य

jagnnath temple facts/mystery

1. प्रकृति के नियम के खिलाफ तथ्य

 Jagannath puri temple facts

एक बच्चा को भी मालूम है की यदि किसी कपडे को हवा में छोड़ते हैं तो वह प्रवाहित दिशा में उड़ता है । लेकिन ऐसा लगता है कि जगन्नाथ मंदिर के शीर्ष पर लगा झंडा सिद्धांत का एक अनूठा अपवाद है। यह  ध्वज बिना किसी वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के हवा के प्रवाह के विपरीत दिशा में प्रवाहित होता है।

2. चढ़ाई

मंदिर के गुंबद के ऊपर लगे झंडे को बदलने के लिए हर दिन एक पुजारी मंदिर की दीवारों को 45 मंजिला इमारत के बराबर ऊंचाई चढ़ता  है। यह अनुष्ठान मंदिर बनने के बहुत पहले बनाया गया था। यह काम  बिना किसी सुरक्षात्मक गियर के नंगे हाथों से किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कैलेंडर से एक दिन अनुष्ठान को छोड़ दिया जाता है, तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा।

3. एक ऐसा प्रकाश जिसमें अँधेरा न हो

 Jagannath puri temple facts

जब सूरज की रोशनी विषय के एक हिस्से को दूसरे पर छाया छोड़ती है, जो अंततः छाया को ट्रिगर करती है।
कहा जाता है कि मंदिर में दिन के किसी भी समय किसी भी दिशा से कोई छाया नहीं होती है। क्या यह एक वास्तुशिल्प चमत्कार या मानवता के लिए भगवान जगन्नाथ का संदेश हो सकता है?

4. पहेलीसुदर्शन चक्र की

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सुदर्शन चक्र के रूप में मंदिर के शिखर पर दो रहस्य मौजूद हैं। पहली विषमता कि  कैसे कठोर धातु का जिसका वजन लगभग एक टन था, उस सदी की मानव शक्ति के साथ बिना किसी मशीनरी के  कैसे उठी।
दूसरा चक्र से संबंधित वास्तु तकनीक से संबंधित  है। हर दिशा से देखो, चक्र उसी रूप में पीछे मुड़कर देखता है। यह ऐसा है जैसे इसे हर दिशा से एक जैसा दिखने के लिए डिज़ाइन किया गया हो।

5.ईश्वर के ऊपर कुछ भी नहीं है, इसलिए मंदिर के  ऊपर कुछ भी नहीं उड़ता

 Jagannath puri temple facts

 हम पक्षियों को हर समय अपने सिर और छतों के ऊपर बैठे, आराम करते और उड़ते हुए देखते हैं। लेकिन, मंदिर के गुंबद के ऊपर एक भी पक्षी नहीं मिलता है, यहां तक कि मंदिर के ऊपर एक हवाई जहाज भी नहीं देखा जा सकता है।हो सकता है कि शायद  भगवान जगन्नाथ नहीं चाहते कि उनकी पवित्र हवेली का नजारा खराब हो!

6. यहाँ पर बने हुवे भोजन कभी व्यर्थ नहीं जाते

 Jagannath puri temple facts

पौराणिक कथाओं में, खाना बर्बाद करना एक बुरा संकेत माना जाता है; । मंदिर में आने वाले लोगों की कुल संख्या प्रतिदिन 2,000 से 2,00,000 लोगों के बीच होती है। चमत्कारिक रूप से, प्रतिदिन तैयार किया जाने वाला प्रसाद एक दंश भी व्यर्थ नहीं जाता,  यह एक प्रभावी प्रबंधन या प्रभु की इच्छा हो सकती है?

7. बंधा हुवा समुंद्र का पानी 

 Jagannath puri temple facts

जब आप सिंह द्वार के प्रवेश द्वार से मंदिर के अंदर पहला कदम रखते हैं, तो समुद्र की लहरों की आवाज़  पूरी तरह से खो जाती है। यह घटना शाम के समय प्रमुख रूप से  होती है।  जब आप मंदिर से बाहर निकलते हैं तो आवाज वापस आती है।पौराणिक कथा  के अनुसार, यह दो प्रभुओं की बहन सुभद्रा माई की इच्छा थी, जिन्होंने मंदिर के द्वार के भीतर शांति की कामना की थी। इसलिए उसकी इच्छा विधिवत पूरी हुई। 

8. हवा का विपरीत दिशा में बहना

jagnnath temple image/जगन्नाथ मंदिर की छवि

Jagannath puri temple facts

पूरी दुनिया में कही भी  , दिन के समय हवा का रूख समुद्र से जमीन की तरफ होता  है और शाम को विपरीत होता है। लेकिन, जगन्नाथ पुरी में, हवा में विपरीत दिशा का विरोध करने  की प्रवृत्ति होती है। दिन में, हवा जमीन से समुद्र की ओर चलती है और शाम को विपरीत दिशा में  होता है।

9. खाना पकाने के जादुई तरीके 

 Jagannath puri temple facts

प्रसादम पकाने का पारंपरिक तरीका यहाँ अपनाया जाता  है। ठीक सात बर्तन एक  के ऊपर एक रख कर  जलाऊ लकड़ी का उपयोग करके पकाया जाता है। आश्चर्यजनक रूप से, सबसे ऊपर वाला  बर्तन पहले पकता   है, और बाकी उसके बाद में। 

10. अधूरी मूर्ति की पूजा

  यहां पर सदियों से अधूरी मूर्ति की पूजा होती आ रही हैआम तौर पर अधूरी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है। जिसके पीछे एक खास कारण है। दरअसल जगन्नाथ पुरी के मंदिर में प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम की जो मूर्ति रखी गई है वो पूरी बनी  नहीं है, उनका सिर्फ मुंह ही बना है  हाथ-पांव नहीं । जिसके पीछे एक कथा  है
 
पौराणिक कथा के अनुसार  एक बार पुरी के राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम की मूर्ति बनाने का काम देव शिल्पी विश्वकर्मा को सौंपा था लेकिन शिल्पी ने राजा के सामने एक शर्त रख दिया  कि जब तक मूर्ति का काम पूरा नहीं होता  है, वो तब तक एक कमरे के भीतर रहेंगे और किसी को भी अंदर आने नहीं दिया जायेगा ।
इस पर राजा ने शिल्पी की बात मान ली। वो रोज शिल्पी के घर से बाहर निकलते थे, जहां उन्हें मूर्तियां बनाने की ठक-ठक की आवाज आती थी। एक दिन वो शिल्पी के घर के सामने से गुजर जा रहे थे लेकिन उन्हें कोई आवाज सुनाई नहीं दी। उन्हें  चिंता हुई और उन्होंने शिल्पी के घर का दरवाजा खोल दिया, जैसे ही राजा शिल्पी के घर में घुसे, शिल्पकार विश्वकर्मा ओझल हो गए और फिर कभी भी दोबारा  नहीं आए। अब राजा इंद्रद्युम्न ने विवश होकर प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम की तीनों मूर्तियों को पुरी के मंदिर में रखवा दिया और तब से  पुरी में अधूरी मूर्तियों की पूजा की परम्परा है। 
 श्री जगन्नाथ मन्दिर के बारे में कुछ प्रश्न
1) श्री जगन्नाथ मन्दिर की आफिसियल वेबसाईट क्या है ?
   ✅ आफिसियल वेबसाईट :-

https://www.shreejagannatha.in/

 
 जगन्नाथ मंदिर के आधिकारिक जानकारी के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 👇
 
2) जगन्नाथ मंदिर किसने बनाया/Who built Jagannath puri Temple?
 इस मन्दिर का  निर्माण गंगा राजवंश के एक प्रसिद्ध राजा अनंत वर्मन चोदगंगा देव द्वारा 12 वीं शताब्दी में जगन्नाथ  पुरी में किया गया था।
 
3) जगन्नाथ मंदिर कहाँ पर बना है/Where is Jagannath Temple built?
  Grand Rd, At post, Puri, Odisha 752001
 
4) जगन्नाथ मंदिर की ऊंचाई कितनी है?/What is the height of Jagannath Temple?
मंदिर की मीनार पत्थर के एक ऊँचे  मंच पर बनाई गई थी और, आंतरिक गर्भगृह से 214 फीट (65 मीटर) ऊपर ।
 
5)  जगन्नाथपुरी मंदिर के ऊपर पक्षी और विमान क्यों नहीं उड़ते?/
Why don't birds and planes fly over Jagannathpuri temple? जगन्नाथ मंदिर पुरी के ऊपर नीलचक्र एक आठ धातु चक्ररखा गया है। ऐसा माना जाता है कि यह धातु सभी वायरलेस संचार को अवरुद्ध कर देती  है, इस लिए  इस क्षेत्र में हवाई जहाज उड़ाना खतरनाक है। इसलिए ये  माना जाता है कि जगन्नाथ पुरी मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज नहीं उड़ते।
 
6) पुरी का पुराना नाम क्या है?
पुरी क्षेत्र को उत्कल के नाम से भी जाना जाता था। पुरुषोत्तम क्षेत्र का नाम कुछ समय के लिए पुरुषोत्तम पुरी के नाम से भी जाना जाता था 
7)जगन्नाथ मंदिर को किसने नष्ट किया?
फिरोज शाह तुजलक एक रूढ़िवादी राजा था  अपने शासनकाल के बाद के हिस्से में कट्टर हो गया था। उसने 1360 में जाजनगर के लिए एक अभियान के दौरान पुरी जगन्नाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था । 
 
🌹जय जगन्नाथ 🌹
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